सबसे पहले ये सवाल पूछने वाले लोग हैं कौन ??
लिबरल गैंग,वामी गैंग,कामी गैंग,शेखुलर गैंग .. या कौन ??
मंदिर न बनाये तो क्या बनाये ??
अस्पताल बनाओ.. स्कूल बनाओ.. कॉलेज बनाओ.. यूनिवर्सिटी बनाओ.. और ऐसे ही सब बनाओ.. मंदिर के पीछू क्यों पड़ना ?? रोजगार पे ध्यान दो.. गरीबी पे ध्यान दो.. इसके पीछे क्यों पैसे बर्बाद करना ??
मंदिर के प्रत्युत्तर में यही तर्क है न ?? कि कुछ और है ??
ऐसा कहने वाले अधिकतर विदेशी हाव भाव और कल्चर से ज्यादा पीड़ित होते हैं .. ये मस्त विदेश घूमने जाते हैं… वहाँ स्टडी और रिसर्च करते हैं और फिर इधर आ के ज्ञान बाँटते हैं.. और फिर उसके पीछू झुंड चल पड़ता है।
ये जिस देश में भी जाते है वहाँ के प्राचीन स्थलों पे जा के गर्व के साथ विभिन्न एंगल से फोटू खिंचाते हुए पाए जाते हैं… एफिल टॉवर के सामने पोज देते हुए.. स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी के सामने पोज देते हुए.. पीसा की झुकी मीनार के सामने पोज देते हुए.. कोलेजियम के सामने पोज देते हुए.. मिस्र के गिज्जा के पिरामिड के सामने पोज देते हुए.. पेरू के पिरामिड के सामने पोज देते हुए.. और ऐसे ही अनगिनत हिस्टोरिकल जगहों के सामने पोज देते हुए पाए जाते हैं ये विचित्र प्राणी .।
जरा इनसे पूछिये कि इन जगहों पे जाने के लिए कितना खर्च किये सो ??
आप विदेश भ्रमण के नाम पे कितने स्कूल गए .. कितने कॉलेज गए ?? कितने अस्पताल गए ?? और इन सब में अपने कितना खर्च किया ??
आपका विदेश भ्रमण तब तक नहीं पूर्ण है जब तक कि आप वहाँ के ऐतिहासिक धरोहरों को देख नहीं लेते.. वहाँ फोटू नहीं खिंचा लेते।
बताइये न आप कि विदेश भ्रमण या वर्ल्ड टूर के नाम पे आप सबसे ज्यादा किन जगहों पे जाना पसंद करोगे/करते हो और क्यों भला ??
आपके भारत में विदेशी सैलानी क्या देखने आते हैं ?? गरीबी ?? भुखमरी ?? या कुछ और ??
ताजमहल दर्शन के नाम पे कितना रेवेन्यू जाता है सरकार को ??
लेकिन ये आगरा का ताजमहल ऐतिहासिक या पुरातत्व के हिसाब से कोई महत्व का नहीं है.. यहाँ सैलानी आते हैं तो सिर्फ और सिर्फ फोटू खिंचाने।..
लेकिन अधिकतर सैलानी जिन्हें वास्तव में भारत को जानना होता है, इनके प्राचीन और स्वर्णिम इतिहास को जानना होता है, बेहतरीन इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी को जानना होता है वे कहां जाते है ??
तो वे मन्दिर जाते हैं… कई टूटे-फूटे मंदिरों में जाते हैं.. सैम्पल इकट्ठा करते हैं और पता करते हैं बकायदा हमें बताते हैं कि हम क्या थे?? हमारा इतिहास क्या था ??
कितने ही मंदिर जो बेहतरीन इंजीनियरिंग के प्रतिस्वरूप थे उनको खण्डित किया गया, जमींदोज किया गया.. ढहाया गया.. खंडहर में तब्दील किया गया.. आज उनकी टूटी-फूटी स्तंभ और दीवारें चीख-चीख के गवाह देती है कि कभी अपने इतिहास में भी झांक के देख लो.. हम कौन थे और आज ऐसे जर्जर स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है ??
अजंता एलोरा,एलिफेंटा की गुफा हो.. कैलाश मंदिर हो.. दक्षिण की शानदार मंदिरें हो .. सबसे ज्यादा सैलानी इन्हीं को देखने आते .. इसमें ही इन्हें भारत दिखता .. हाँ वास्तविक भारत दिखता.. जो हमारे वैभवपूर्ण इतिहास को भी बताता और बर्बर आक्रांताओं के कृत्यों को भी।
गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा तक का सफर ले लीजिए थोड़ा.. रोजगार क्या होता है सो पता लग जायेगा… इसी तरह अन्य को भी पकड़ लीजिये।
तुम स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी अस्पताल रोजगार की बात कर रहे हो न तो अभी भी कितने सरकारी संस्थान हैं उनके पैसे कहाँ से आते ??? मैं पूरा का पूरा नहीं कह रहा.. फिर भी बहुत कुछ आता है.. जितने भी बड़े मंदिर हैं उनका पैसा सरकारी खजाने में जाता है.. सरकार के खजाने का एक बड़ा हिस्सा मंदिर से जाता है.. यहां थोड़ा एड कर दे तो चर्च और मस्जिद से एक पैसा भी नहीं जाता है। तो मंदिर का योगदान थोड़ा ध्यान में रख लेने का।
और ये जो मंदिर बन रहा है वो करोड़ों हिंदुओं के आस्था का केंद्रबिंदु बनेगा.. भारत ही नहीं पूरे विश्व के हिंदुओं के लिए सबसे बड़ा धार्मिक स्थल बनेगा.. ये केवल अयोध्या,अवध की ही तस्वीर बदल के नहीं रख देगा अपितु उत्तर प्रदेश और भारत की भी।
टूरिज्म और धर्म का सबसे बड़ा केंद्र बनेगा… हिन्दू आबादी कितनी है विश्व में सो बताने और पूछने का नहीं… और इतना बड़ा समूह और उनके आस्था का केंद्र जब बन खड़ा होगा जो सदियों से प्रतीक्षारत रहा है, हजारों जन जिसके लिए बलिदान हुए हैं,समझ सकते हैं क्या होगा सो ???
कितना रोजगार मिलेगा अनुमान है कुछ ???
एक फूल वाले से लेकर ठेले वाले और होटल तक के लिए .. विदेशों से सैलानी कितने आएंगे सो कुछ अनुमान है ??? .. भारत भ्रमण बिना “राम मंदिर” के पूर्ण हो ही नहीं सकता.. अपितु बहुत कोई तो केवल “राम मंदिर” दर्शन को ही भारत आएंगे।
तब इन पैसों के रेवेन्यू से कितना कुछ बनेगा उसकी तुम कल्पना भी नहीं कर सकते हो।
और ये जो न तुम सब ऐसे झन्नाटेदार तर्क देते हो न हो तो वो छोटका ओवैसी बराबर बोलता है.. “अरे हम जाएंगे न तो साथ-साथ में ताजमहल और लालकिला भी लेते जाएंगे.. तुम्हारे पास क्या बचेगा ?? वो अयोध्या की टूटी फूटी मूर्ति ???”
आज भारत की सैकड़ों टूटी फूटी मंदिरें और मूर्तिया ही भारत का आधार है और विदेशी सैलानियों के लिए केंद्र बिंदु… और जब ये पुनः उठ खड़ा होंगे तब आप कल्पना कर सकेंगे कि भारत कैसा था और कैसा हो सकता है.. क्योंकि ये मंदिर तभी बने थे जब भारत सचमुच में भारत था.. सोने की चिड़िया था।