एक बोध कथा भारतीय हिंदू के लिए…..!
एक प्रोफेसर था, एक ‘हिंदू’ प्रोफेसर था, हां हिंदू…..!
वैसे प्रोफेसर कोई भी हो सकता है पर ये एक ‘हिंदू प्रोफेसर’ ही था…..!
वे मेंढक पर कुछ जैविक परीक्षण कर रहे थे और इसी परीक्षण में उन्होंने मेंढक की एक टांग तोड़ दी और आदेश दिया- ”जंप”
मेंढक तीन टांगों से कूद गया…..!
प्रोफेसर ने दूसरी टांग तोड़ दी और फिर से आदेश दिया- “जंप”
मेंढक दो टांगों से भी थोड़ा सा कूद गया…..!
प्रोफेसर ने अब तीसरी टांग भी तोड़ दी और फिर से चिल्लाये- “जंप”
मेंढक बेचारा थोड़ा सा कोशिश करके रेंग गया…..!
प्रोफेसर ने अब चौथी टांग भी तोड़ दिए और चीखे-“जंप”
मेंढक पड़ा रह गया…..!
हिंदू प्रोफेसर ने डायरी में निष्कर्ष लिखा –
“चार टांग टूटने पर मेंढक बहरा हो जाता है।”
देश में जब भी कोई घटना होती है 'हिंदू प्रोफेसर' चिल्लाते हैं - "मोदी बहरा हो गया है।" हिंदू प्रोफेसर घटनाओं का विश्लेषण कुछ ऐसे ही करते हैं पहले प्रांतीय चुनावों में राष्ट्रवादी ताकतों की टांगें तोड़ते हैं और फिर 'मोदी' को 'बहरा' घोषित करते हैं.....!
अज्ञानता से धिरे हुए हिंदुओं को सत्ता के पिछे असली ताकत मालूम ही नहीं.....! देश में जब भी कोई हिंदू प्रताड़ित होता है तब सब को तुरंत मोदी याद आते हैं कि मोदी इस बारे में कुछ बोल नहीं रहे, मोदी ने ट्वीट नहीं किया, मोदी क्यों चुप बैठे है.....!
मोदी सिर्फ ट्वीट करने या बोलने के लिए नहीं बैठे हैं, उनके दिमाग में सब चल रहा है और अगर देश का एक भी हिंदू प्रताड़ित होगा तो सच मानिए सबसे ज्यादा संवेदना अगर कोई नेता को होगी तो वह मोदी जी ही होंगे.....! लेकिन क्या उनके ट्वीट करने से या सिर्फ बोलने से इस समस्या का समाधान हो जाएगा.....? नहीं ना.....! लोकतंत्र में सच्ची ताकत जनप्रतिनिधियों की संख्या पर निर्भर है। और इसमें केंद्रीय, राज्य स्तर की और स्थानीय इकाइयां सारी समाहित है.....!
मान लो आज अगर केंद्र में मोदी जी के पास पूर्ण बहुमत ना होता और अटल बिहारी वाजपेईजी की तरह मिली जुली सरकार होती तो क्या कश्मीर की धारा 370 या फिर श्री राम जन्मभूमि मंदिर जैसे बड़े निर्णय लेना संभव था क्या.....? किसी भी कानून को पारित कराने केलिए राज्यसभा और लोकसभा दोनों में पूर्ण बहुमत की आवश्यकता होती है। जैसे मेंढक की कूदने की ताकत उनके पैरों में हैं वैसे ही लोकतंत्र में मोदी जी की ताकत जनप्रतिनिधियों की संख्या पर निर्भर है। लोकसभा में तो पूर्ण बहुमत है लेकिन राज्यसभा में बहुमत के लिए देश के ज्यादातर राज्यों में भाजपा को जिताना जरूरी होता है। अगर बिना राज्यसभा में बहुमत मोदी जी ने इतने अहम कानून को पारित करवा दिया है। अब जरा सोचिए कि अगले कुछ महीनों में पहली बार राज्यसभा में भी मोदी जी को पूर्ण बहुमत मिलने वाला है। तब जिन कानूनों मैं कमी के कारण देश पिछले 70 वर्षों से समस्याओं से जूझ रहा है उन्हे एक ही सत्र में सुधार कराने की संभावनाएं हैं। और मोदी जी यह ताकत रखते हैं......! क्योंकि संसद में या जाहेर भाषणो में मोदी जी कई बार कह चुके हैं कि नोटबंदी हो या सर्जिकल स्ट्राइक हम यूं ही बिना कोई तैयारी हड़बड़ी में कोई निर्णय नहीं लेते, उनके पीछे वर्षों की तैयारी होती है.....!
मोदी आज कोई व्यक्ति का नाम नहीं रहा किंतु सदियों की हिंदुओं की समस्या से छुटकारा पाने का एक मंत्र बन चुका है। वैसे तो प्रधानमंत्री पद पर पहले कई व्यक्ति आ कर गए लेकिन मोदी के साथ देश के हिंदुओं की सदियों की विश्व गुरु भारत के साथ राष्ट्र की उन्नति की संभावनाए दांव पर लगी है.....!
देश में जब भी कोई हिंदू प्रताड़ित होता है तब फेसबुकिया मध्यमवर्गीय बुद्धिजीवी हो या नुक्कड़ हरेक हिंदू के अंदर यही मेंढक वाला 'प्रोफेसर' प्रकट हो उठता है.....!
पिछले 10 वर्षों से जब कांग्रेस चुनाव हारती है तब कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में एक ही निर्णय आता है कि " राहुल जी को और पावर दिया जाए। " सब जानते है कि उनका सिर्ष नेतृत्व दिशाहीन है लेकिन उनका निष्कर्ष तो सही है कि शीर्ष नेतृत्व को और पावर दिया जाए। जबकि हिंदू ही नहीं पूरा विश्व जानता है कि आज सबसे विश्व के सबसे ताकतवर नेता भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है फिर भी देश का हिंदू नहीं समझ सका कि मोदीजी को
और अधिक पावर की आवश्यकता है…..!
अंत में इतना ही कहूंगा कि, विश्वास रखें अगर वर्तमान परिस्थिति में हिंदू , भारत या फिर कई वैश्विक समस्याओं का समाधान करने की ताकत अगर कोई एक नेता रखता है तो वह मोदी जी ही है.....!